सत्ता गलियारों में युवजन की आवाज़ें बुलन्द करने के लिये अभियान
संयुक्त राष्ट्र की युवा मामलों की दूत जयथमा विक्रमानायके ने इस अवसर पर कहा है, “सत्ता, प्रभाव और विश्वास में पीढ़ीगत खाई ने, हमारे समय की महानतम चुनौतियों में से एक का रूप ले रखा है.”
इस अभियान का नाम है – Be Seen, Be Heard जिसे The Body Shop International की साझेदारी में शुरू किया गया है.
इसमें ऐसे दीर्घकालीन ढाँचागत बदलाव लाने के प्रयास किये जाएंगे जिनके माध्यम से निर्णय निर्माण में युवाओं की भागीदारी बढ़ने का रास्ता साफ़ हो.
एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है, “जलवायु संकट, वैश्विक संघर्ष और पीढ़ीगत असमानताएँ बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं, युवाओं की राय, उनके नज़रिये और उनके प्रतिनिधित्व की, अतीत से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है.”
इस अभियान के तहत 75 से भी ज़्यादा देशों में करोड़ों युवजन की आवाज़ें बुलन्द करने की कोशिश की जाएगी.
नेताओं ने पृथ्वी के लिये चीज़ें बिगाड़ दी हैं
सार्वजनिक जीवन में युवजन की भागीदारी को रोकने वाली ढाँचागत बाधाएँ और पूर्व अवधारणाएँ समझने के लिये, बुधवार को ही एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसका नाम है - Be Seen Be Heard: Understanding young people’s political participation.
इस रिपोर्ट में इस विषय पर ना केवल अहम जानकारी दी गई है बल्कि इन चुनौतियों का मुक़ाबला करने के बारे में सिफ़ारिशें भी पेश की गई हैं.
इस रिपोर्ट मं इस तथ्य को बल मिला है कि राजनैतिक प्रणालियों में लम्बे समय से विश्वास की कमी है मगर तमाम आयु समूहों की तरफ़ से, और ज़्यादा युवा प्रतिनिधित्व की इच्छा भी नज़र आई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में 82 प्रतिशत लोगों की सोच है कि राजनैतिक व्यवस्था को भविष्य के लिये दुरुस्त बनाने की ख़ातिर, उसमें बहुत व्यापक सुधारों की आवश्यकता है, और 70 प्रतिशत लोग मानते हैं कि युवजन की आवाज़ों को और ज़्यादा अहमियत मिलनी चाहिये.
30 वर्ष से कम उम्र के तीन चौथाई लोगों का मानना है कि राजनैतिक और व्यावसायिक नेताओं ने लोगों व पृथ्वी ग्रह के लिये चीज़ें बुरी तरह बिगाड़ दी हैं और वो बदलाव के लिये तैयार हैं.
उनसे भी ज़्यादा हर तीन में से दो लोग, राजनीति में आयु-असन्तुलन से असहमत हैं और 10 लोगों में से 8 लोगों का मानना है कि पहली बार मतदान करने की आदर्श आयु 16-18 वर्ष होनी चाहिये, जबकि अधिकतर देशों में मतदान की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है.
हाल के आँकड़े दिखाते हैं कि दुनिया भर की लगभग आधी आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है, मगर वैश्विक सांसदों में उनका प्रतिनिधित्व केवल 2.62 प्रतिशत है, और एक वैश्विक नेता की औसत आयु 62 वर्ष है.
युवजन भागीदारी है कुंजी
संयुक्त राष्ट्र के युवा मामलों की दूत जयथमा विक्रमानायके ने राजनैतिक संस्थाओं की तरफ़ बढ़ते अविश्वास और निर्वाचित नेताओं से बढ़ती दूरी का सामना करने के लिये, निर्णय-निर्माण में युवजन की भागीदारी की अहमियत को रेखांकित किया है.
उन्होंने कहा, “जैसाकि युवजन ने सड़कों पर, सिविल सोसायटी में, और सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता के ज़रिये बहुत स्पष्ट कर दिया है, वो ज़्यादा समान, न्यायसंगत और टिकाऊ समाज बनाने के लिये, ज़रूरी बदलाव करने के बारे में बहुत गम्भीर हैं.”
“ये अभियान, बदलाव लाने और ऐसी नीतियों की तरफ़ बढ़ने का एक अवसर है जिनमें युवजन की प्राथमिकताएँ और उनकी चिन्ताएँ नज़र आएँ, और वो युवजन की भाषा बोलें.”