शान्ति बनाए रखना है अहम, मगर, पहले से कहीं अधिक 'जटिल'
नीति के लिये यूएन अवर महासचिव ने बताया कि यूक्रेन में रूसी आक्रमण से लेकर, जलवायु परिवर्तन और उभरती टैक्नॉलॉजी के कारण उत्पन्न ख़तरों तक, विविध प्रकार के जोखिम आपस में जुड़ते जा रहे हैं.
“वर्ष 1945 के बाद से हिंसक संघर्ष अपने उच्चतम स्तर पर हैं, जिसके भयावह नतीजे हुए हैं, जोकि जबरन विस्थापन और वैश्विक मानवीय आवश्यकताओं के रिकॉर्ड स्तर में दिखा है.”
“शान्तिनिर्माण, सम्पूर्ण यूएन प्रणाली का दायित्व है – जैसाकि शान्तिनिर्माण ढाँचागत व्यवस्था पर 2015 के अभूतपूर्व प्रस्ताव में मान्यता दी गई थी.”
यूएन अवर महासचिव ने बताया कि हिंसक टकराव के कारकों और उनकी बुनियादी वजहों से निपटते हुए, शान्तिपूर्ण समाजों की नींव तैयार किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
वोल्कर टर्क ने मध्य अफ़्रीकी गणराज्य का उदाहरण दिया, जहाँ यूएन महासचिव के शान्तिनिर्माण कोष के ज़रिये, शान्ति व मेलमिलाप के लिये 2019 के राजनैतिक समझौते को लागू किया जा रहा है.
इसके तहत, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर हिंसा रोकथाम प्रयासों को बेहतर बनाया गया है.
वहीं, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के अशान्त कसाई क्षेत्र में, इस कोष की मदद से क़रीब 500 पूर्व लड़ाकों के एकीकरण प्रयासों को फलीभूत किया गया है. इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा मिशन (MONUSCO) की अवधि पूरी हो रही है.
वर्ष 2018 के बाद से ही, महासचिव गुटेरेश ने अपनी रिपोर्टों में यूएन की शान्तिनिर्माण गतिविधियों के लिये समर्पित वित्त पोषण को प्राथमिकता देने, बढ़ाने और उसमें बदलाव लाने के लिये अनेक विकल्प पेश किये हैं.
इस कोष के लिये स्वैच्छिक योगदान भी बढ़े हैं, जिससे वर्ष 2021 में 19 करोड़ 50 लाख डॉलर तक का निवेश कर पाना सम्भव हुआ है.
‘अपर्याप्त’ निवेश
मगर, उन्होंने सचेत किया है कि प्रगति की मौजूदा गति, अपर्याप्त है. धनराशि के अभाव में, पिछले तीन वर्षों के लिये आवण्टन लक्ष्यों में कटौती करनी पड़ी है, और यूएन प्रति वर्ष 50 करोड़ डॉलर के लक्ष्य से अभी काफ़ी दूर है.
उन्होंने बताया कि यह कोष पूरी तरह से, कम संख्या में दानदाताओं के स्वैच्छिक योगदानों पर निर्भर है, जबकि रोकथाम और शान्तिनिर्माण क्षेत्रों में ज़रूरतों का दायरा निरन्तर बढ़ रहा है.
इस सप्ताह जारी किये गए आँकड़े दर्शाते हैं कि पिछले वर्ष, वैश्विक सैन्य व्यय अब तक के अपने सबसे ऊँचे स्तर पर है, और यह पहली बार दो हज़ार अरब डॉलर के पार पहुँचा है.
अवर महासचिव ने ध्यान दिलाया कि जो देश हथियारों में रिकॉर्ड निवेश कर सकते हैं, वे हिंसक संघर्षों की रोकथाम, निपटान और शान्तिनिर्माण में भी निवेश वहन कर सकते हैं.
यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने अपने सम्बोधन में कहा कि सुरक्षा एवं विकास पर ख़र्च किये जाने वाले वैश्विक संसाधनों का एक बेहद छोटे हिस्से का निवेश, शान्तिनिर्माण में किया जा रहा है.
महासभा प्रमुख ने कहा कि संसाधनों व आवश्यक रक़म की कमी है, और शान्तिनिर्माण कोष के लिये प्रति वर्ष 50 करोड़ डॉलर के लक्ष्य को अभी तक हासिल नहीं किया गया है.
उन्होंने बताया कि इस वित्तीय खाई से शान्तिनिर्माण प्रयास कमज़ोर होते हैं, और दीर्घकालीन कार्यक्रमों के लिये वित्त पोषण पर्याप्त व निश्चित नहीं हो पाता है.
राजनैतिक इच्छाशक्ति ज़रूरी
यूएन महासभा अध्यक्ष ने सदस्य देशों से समाधानों को आगे बढ़ाने, संकल्प लेने और हिंसक टकरावों की रोकथाम व दीर्घकालीन शान्ति के लिये आवश्यक संस्थाओं के सृजन में वित्तीय कमियों को दूर करने का आग्रह किया है.
“शान्तिनिर्माण मुख्य रूप से एक राष्ट्रीय चुनौती व ज़िम्मेदारी है. शान्ति व सततता को हासिल करने के लिये राष्ट्रीय स्वामित्व आवश्यक है.”
इस क्रम में, राष्ट्रीय क्षमता विकास को सभी अन्तरराष्ट्रीय शान्तिनिर्माण प्रयासों के केंद्र में रखने का आग्रह किया गया है.
अब्दुल्ला शाहिद ने शान्ति निर्माण और शान्ति बनाए रखने के लिये पर्याप्त, टिकाऊ व निश्चित वित्त पोषण हेतु, और अधिक राजनैतिक इच्छाशक्ति दर्शाये जाने का आहवान किया है.
गम्भीर चुनौती
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरसरकारी परामर्श निकाय, शान्तिनिर्माण आयोग की प्रमुख रबाब फ़ातिमा ने कहा कि हिंसक संघर्ष प्रभावित देशों की सहायता के लिये यूएन महासभा द्वारा निर्वाचित निकाय का मानना है कि पर्याप्त व सतत वित्त पोषण एक गम्भी चुनौती है.
रबाब फ़ातिमा, संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश की राजदूत भी हैं, उन्होंने कहा कि यह चिन्ताजनक है कि हिंसक टकराव से ग्रस्त देशों के लिये वित्त पोषण पर भीषण दबाव है.
यह चुनौती उन देशों के लिये विशेष रूप से कठिन है, जोकि कोविड-19 महामारी से जूझते हुए संक्रमणकालीन दौर से गुज़र रहे हैं और जिन पर सार्वजनिक व्यय से जुड़ी बाध्यताएँ हैं.
उन्होंने कहा कि हिंसक संघर्ष से पीड़ित देशों पर वैश्विक महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को देखते हुए, आयोग यह सुनिश्चित किये जाने का आग्रह करता है कि पुनर्बहाली और टिकाऊ विकास प्रयासों में शान्तिनिर्माण को भी बढ़ावा दिया जाए, और विषमताओं की रोकथाम व उनमें कमी लाने की कोशिशें की जाएँ.