अफ़ग़ानिस्तान: आधी आबादी पर भूख का गम्भीर संकट, राहत उपायों में निवेश पर बल
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों की नवीनतम ‘Integrated Food Security Phase Classification (IPC)’ रिपोर्ट जनवरी और फ़रवरी 2022 की अवधि पर आधारित है.
IPC को वर्ष 2004 में विकसित किया गया था, जिसका उद्देश्य किसी देश में खाद्य असुरक्षा और गम्भीर कुपोषण की स्थिति व स्तर का आकलन करना है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अनुसार, सर्दी के मौसम के दौरान मानवीय सहायता के ज़रिये तबाही को रोक पाना सम्भव हुआ है, मगर देश में अब भी अभूतपूर्व स्तर पर भूख का संकट है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिये FAO के प्रतिनिधि रिचर्ड ट्रैनचार्ड ने बताया कि खाद्य सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करने पर केंद्रित, अभूतपूर्व स्तर पर मानवीय सहायता से हालात बदलने में मदद मिली है. मगर, खाद्य सुरक्षा हालात चिन्ताजनक हैं.
“मानवीय राहत सहायता बेहद ज़रूरी और अहम है, और उसके साथ ही बिखर चुकी कृषि आधारित आजीविकाओं का पुनर्निर्माण किया जाना, और किसानों व ग्रामीण समुदायों को फिर से देश भर में कठिन हालात का सामना कर रहे ग्रामीण व शहरी बाज़ारों से जोड़ना होगा.”
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होगा तक इस संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है.
यूक्रेन में युद्ध के कारण अफ़ग़ानिस्तान में गेहूँ आपूर्ति, खाद्य वस्तुओं, कृषि के लिये ज़रूरी सामग्री और ईंधन क़ीमतों पर भीषण दबाव है.
बीजों, उर्वरक और सिंचाई के लिये जल की सीमित सुलभता है, श्रमिकों के लिये अवसर कम हैं और पिछले कुछ महीनों में भोजन के प्रबन्ध के लिये लोगों को विशाल कर्ज़ लेने के लिये मजबूर होना पड़ा है.
मामूली बेहतरी सम्भव
रिपोर्ट में सम्भावना जताई गई है कि जून-नवम्बर 2022 के लिये खाद्य सुरक्षा हालात में मामूली बेहतरी होने का अनुमान है, और गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की संख्या घटकर एक करोड़ 89 लाख रह जाने की सम्भावना है.
इसकी एक आंशिक वजह मई और अगस्त महीनों के दौरान गेहूँ की पैदावार और खाद्य सहायता अभियान का सम्भावित असर बताया गया है, जिसे इस वर्ष समन्वित ढँग से संचालित किया जा रहा है.
इसके अलावा कृषि आजीविका समर्थन को भी बढ़ाया गया है. मगर, रिपोर्ट में चेतावनी जारी की गई है कि अन्न की सीमित आपूर्ति है.
सूखे का साया मंडराते रहने और गहरे आर्थिक संकट के कारण लोगों को अभूतपूर्व स्तर पर भूख की मार झेलनी पड़ेगी और देश भर में लाखों आमजन के जीवन व आजीविका के लिये ख़तरा बना रहेगा.
रिपोर्ट बताती है कि देश के एक छोटे हिस्से में खाद्य असुरक्षा के विनाशकारी स्तर पर पहुँच जाने की आशंका है. वर्ष 2011 में अफ़ग़ानिस्तान के लिये IPC आकलन शुरू किये जाने के बाद ऐसा पहली बार देखा गया है.
देश के पूर्वोत्तर प्रान्त, घोर में 20 हज़ार से अधिक लोग, कड़ाके की सर्दी की लम्बी अवधि और त्रासदीपूर्ण कृषि परिस्थितियों के कारण विनाशकारी पैमाने पर भूख से पीड़ित हैं.
कृषि व आजीविका सम्बन्धी समर्थन
अफ़ग़ानिस्तान में विश्व खाद्य कार्यक्रम के लिये देशीय निदेशक और प्रतिनिधि मैरी-ऐलेन मैकग्रोआर्टी ने बताया कि खाद्य सहायता और आपात आजीविका समर्थन, देश में आमजन के लिये एक जीवनरेखा के समान है.
“हमने कुछ ही महीनों के भीतर दुनिया में सबसे विशाल मानवीय खाद्य अभियान संचालित किया, और अगस्त 2021 तक एक करोड़ 60 लाख लोगों तक पहुँच बनाई गई है.”
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों की आवीजिका को सहारा देना और अर्थव्यवस्था को फिर से सामान्य बनाना, इस संकट से निकलने का एक निश्चित रास्ता है, नहीं तो पीड़ा और बढ़ने की आशंका है.
आने वाले दिनों में फ़सल की पैदावार से उन लाखों परिवारों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई गई है, जोकि आय हानि और खाद्य क़िल्लत से जूझ रहे हैं.
मगर, बहुत से परिवार ऐसे है जिनके लिये यह अल्पकालिक राहत होगी और हालात को फिर से सामान्य बनाने के लिये अवसर कम होगा.
यूएन एजेंसियाँ प्रयासरत
WFP ने अब तक इस वर्ष एक करोड़ 60 लाख लोगों तक आपात खाद्य सहायता पहुँचाई है, और फ़ुटकर विक्रेताओं व स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करते हुए स्थानीय बाज़ारों को समर्थन दिया है.
इसके अलावा, कौशल प्रशिक्षण एवं जलवायु अनुकूलन परियोजनाओं के ज़रिये स्थानीय आबादी की आजीविकाओं को मज़बूती प्रदान करने के लिये निवेश किया जा रहा है, ताकि परिवार अपनी भूमि पर अपना भोजन उगा सकें.
FAO ग्रामीण इलाक़ों में किसानों और चरवाहों के लिये सहायता का स्तर निरन्तर बढ़ाने के लिये प्रयासरत है.
इस क्रम में, वर्ष 2022 में 90 लाख किसानों को फ़सल, मवेशी और सब्ज़ी उत्पादन, नक़दी हस्तांतरण और महत्वपूर्ण सिंचाई बुनियादी ढाँचे व प्रणाली को फिर से बहाल करने में मदद प्रदान की जाएगी.
कृषि को सहारा प्रदान करना एक ऐसा किफ़ायती और रणनैतिक उपाय बताया गया है जिससे दीर्घकाल में, आमजन के लिये व्यापक पैमाने पर जीवनदायी समर्थन सुनिश्चित किया जा सकता है. साथ ही, इससे देश में पुनर्बहाली और टिकाऊ विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा.