विपदा भरे समय के बावजूद, 'टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति है सम्भव'
ECOSOC प्रमुख ने बुधवार को टिकाऊ विकास पर उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम के मंत्रिस्तरीय खण्ड के आरम्भिक सत्र को सम्बोधित किया.
यूएन महासभा हॉल में सदस्य देशों की बैठक में आमजन व पृथ्वी के लिये एक अधिक न्यायसंगत और समानतापूर्ण भविष्य सुनिश्चित करने के लक्ष्य पर कोविड-19 महामारी के नकारात्मक असर से उबरने के लिये आवश्यक नीतियों पर चर्चा हो रही है.
यूएन परिषद के अध्यक्ष ने ध्यान दिलाया कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के कारण संकल्प में किसी भी प्रकार की कमज़ोरी से बचते हुए, देशों को एकजुटतापूर्ण ढँग से काम करना होगा.
“दो वर्ष तक महामारी के विरुद्ध एक लम्बे संघर्ष के बाद, यह सच है कि अब हम, बढ़ते हिंसक टकराव, असमानता, निर्धनता और पीड़ा भरे विश्व में रहते हैं; आर्थिक अस्थिरता, ऊर्जा व खाद्य संकटों, बढ़ते कर्ज़ के स्तर, और लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण की दिशा में धीमी होती प्रगति वाली दुनिया में.”
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, पिछले कुछ दिनों में उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम में बार-बार यह आशा दोहराई गई है कि टिकाऊ विकास का 2030 एजेण्डा, बेहतर पुनर्बहाली के लिये एक फ़्रेमवर्क प्रदान करता है.
वैक्सीन समता
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने सम्बोधन में प्रतिनिधियों को आगाह किया कि दुनिया इस समय बेहद परेशानी भरे दौर से गुज़र रही है, लेकिन “हम बिलकुल भी शक्तिहीन नहीं है.”
उन्होंने तत्काल कार्रवाई के लिये चार अहम बिन्दुओं का खाका पेश किया है, जिसके ज़रिये हर देश में वैश्विक महामारी से पुनर्बहाली सम्भव है.
“हमें कोविड-19 वैक्सीन, उपचार और परीक्षण की न्यायोचित वैश्विक सुलभता सुनिश्चित करनी होगी.
“और यह अब बहुत अहम है कि भविष्य के बारे में सोचते हुए उन देशों की संख्या बढ़ाने के लिये गम्भीर प्रयास किये जाएं, जहाँ वैक्सीन, निदान परीक्षण और अन्य टैक्नॉलॉजी का उत्पादन हो सके.”
महासचिव गुटेरेश ने सचेत किया कि इसके साथ-साथ, देशों को अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूती प्रदान करनी होगी और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सुनिश्चित करना होगा ताकि भावी महामारियों से बेहतर ढँग से लड़ा जा सके.
भोजन व ऊर्जा सकंट
यूएन प्रमुख ने भोजन, ऊर्जा व वित्त संकट से निपटने की अहमियत को भी रेखांकित किया है.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन में खाद्य उत्पादन, और रूस में खाद्य व उर्वरक उत्पादन को फिर से वैश्विक बाज़ारों का हिस्सा बनाना होगा. इस क्रम में काला सागर के रास्ते निर्यात प्रयासों को मूर्त रूप देने की कोशिश की जा रही है.
“मैं आपके सतत सहयोग के लिये आपका आभार प्रकट करता हूँ.”
आर्थिक विषमता
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि मौजूदा संकटों का समाधान, विकासशील जगत में व्याप्त आर्थिक विषमता को दूर किये बिना सम्भव नहीं है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने वैश्विक वित्तीय संस्थानों से ज़्यादा संसाधनों, वित्तीय मामलों में लचीलेपन का आग्रह किया है.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि यह नहीं भूलना होगा कि अधिकाँश निर्धन लोग, निर्धनतम देशों में नहीं बल्कि मध्य आय वाले देशों में रहते हैं.
“अगर उन्हें वो समर्थन नहीं मिला, जिसकी उन्हें ज़रूरत है, तो भीषण कर्ज़ में डूबे मध्य आय वाले देशों में विकास सम्भावनाओं पर गहरा असर होगा.”
महासचिव ने एक नए वैश्विक समझौते की भी पुकार लगाई है, ताकि विकासशील देशों के लिये अपने भविष्य को आकार देने का न्यायोचित अवसर होगा. साथ ही वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को केवल शक्तिशाली तबक़े के बजाय निर्बलों की ज़रूरतों को पूरा करने वाली प्रणाली भी बनाना होगा.
आमजन में निवेश
वैश्विक महामारी ने देशों के भीतर और उनके बीच ज्वलंत विषमताओं को उजागर किया है और, इससे उपजे संकटों से सर्वाधिक निर्बल व वंचित समुदाय प्रभावित हुए हैं.
“यह समय लोगों में निवेश को प्राथमिकता देने, सौर्वभौमिक सामाजिक संरक्षा पर आधारित एक नए सामाजिक अनुबन्ध को आकार देने और दूसरे विश्व युद्ध के बाद सामाजिक समर्थन व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन लाने का है.”
महासचिव के अनुसार, विश्व में चुनौतियों का हल ढूँढने की शुरुआत शिक्षा के साथ ही शुरू होती है, मगर यह समता, गुणवत्ता और प्रासंगकिता सम्बन्धी चुनौतियों से ग्रस्त है.
वैश्विक शिक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये, यूएन प्रमुख की इस वर्ष सितम्बर में विश्व नेताओं की एक बैठक आयोजित करने की योजना है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को एक वैश्विक सार्वजनिक भलाई के रूप में स्थापित करना है.
‘नवीकरणीय ऊर्जा क्रान्ति’
साथ ही, यूएन महासचिव ने महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई के लिये भी ज़ोर देते हुए सचेत किया कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित रखने की लड़ाई इसी दशक में जीती या हारी जाएगी.
“एक नवीकरणीय ऊर्जा क्रान्ति के ज़रिये जीवाश्म ईंधन की वैश्विक लत समाप्त करना, पहली प्राथमिकता होनी चाहिये.”
उन्होंने कहा कि नए कोयला संयंत्रों के निर्माण से बचा जाना होगा और जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी भी रोकनी होगी, चूँकि जीवाश्म ईंधन का वित्त पोषण भ्रमित कर देने वाला है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा तार्किक है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भी आशा व एकजुटता पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया, ताकि विश्व इस संकट से ज़्यादा मज़बूत, सुदृढ़ और सतत ढँग से उभर सके.
उन्होंने सामाजिक संरक्षा, निर्धनता दूर करने, और जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की पुकार लगाई है, और साथ ही सतत बदलाव के लिये युवजन के सशक्तिकरण को अहम बताया है.
साझा चुनौतियाँ, साझा समाधान
यूएन महासभा अध्यक्ष ने सर्वाधिक निर्बल देशों को उबारने और अफ़्रीकी महाद्वीप में टिकाऊ विकास हेतु समर्थन प्रदान करने के लिये संकल्प का आग्रह किया.
इसके लिये सार्वभौमिक टीकाकरण, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुलभता की प्राप्ति को बेहद अहम बताया गया है.
उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी ने अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता की सीमाओं की परीक्षा ली है, इसके बावजूद बहुपक्षवाद और अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता बरक़रार है.
अब्दुल्ला शाहिद ने न्यायोचित वैक्सीन वितरण के लिये स्थापित पहल ‘कोवैक्स’ और वैश्विक महामारी से निपटने के लिये प्रस्तावित सन्धि पर जारी वार्ता का विशेष रूप से उल्लेख किया.
उन्होंने कहा कि, “हमने देशों व समुदायों को एक साथ मिलकर, साझा चुनौतियों के साझा समाधानों को खोजते हुए देखा है. हमें हर तरह इसी को आगे बढ़ाना होगा.”