यूक्रेन: मारियुपोल में फँसे आमजन की सुरक्षित निकासी के लिये सहायता अभियान
यूएन एजेंसी के सावियानो ऐब्रेउ ने बताया कि सुरक्षित निकासी अभियान को संयुक्त राष्ट्र, रैड क्रॉस अन्तरराष्ट्रीय समिति और युद्धरत पक्षों के साथ समन्वय के ज़रिये आगे बढ़ाया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन में सहमति हुई है कि पिछले दो महीनों से स्टील प्लांट में फँसे आम लोगों – महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों को सुरक्षित ज़ैपोरिज़का तक पहुँचाया जाएगा. यह मारियुपोल के उत्तर में स्थित है और यूक्रेनी नियंत्रण में है.
वहाँ पहुँचने वाले लोगों के लिये मनोचिकित्सा सेवाओं समेत तत्काल अहम सेवाओं व समर्थन का प्रबन्ध किया गया है.
यूक्रेन में विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यालय ने अपने एक ट्वीट सन्देश मे कहा है कि अन्य साझीदार संगठनों के साथ मिलकर तैयारी को पूरा कर लिया गया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पिछले सप्ताह मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की थी, जिसके बाद रूस ने मारियुपोल में भारी बमबारी के बीच फँसे लोगों की सुरक्षित निकासी पर सैद्धान्तिक रूप से सहमति व्यक्त की थी.
गुरूवार को कीयेफ़ में यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेन्स्की से मिलने के बाद, यूएन प्रमुख ने मारियुपोल को एक संकट के भीतर संकट क़रार दिया था.
अनेक सप्ताह की कोशिशों के बाद, इस सप्ताहाँत यह जीवरक्षक अभियान संचालित कर पाना सम्भव हुआ है.
नागरिक सुरक्षा सर्वोपरि
सावियानो ऐब्रेउ ने बताया कि अभियान के तहत, यूएन और रैड क्रॉस का एक काफ़िला, शुक्रवार को मारियुपोल से ज़ैपोरिज़का के लिये रवाना हुआ था, जोकि लगभग 230 किलोमीटर दूर स्थित है.
“चूँकि अभियान अब भी चल रहा है, हम इस समय और अधिक जानकारी प्रदान नहीं करेंगे ताकि काफ़िले में आम नागरिकों और मानवीय राहतकर्मियों की सुरक्षा की गारण्टी दी जा सके.”
यूएन एजेंसी अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, मारियुपोल शहर से उन सभी आमजन की सुरक्षित निकासी की पैरवी करता रहेगा, जो वहाँ से जाना चाहते हैं.
इस क्रम में, यूएन युद्धरत पक्षों के साथ सक्रियता से सम्पर्क बनाए हुए है.
यह अभियान सुरक्षापूर्वक पूरा होने के बाद यह पहली बार होगा जब रूसी आक्रमण के शुरुआती दिनों से जारी भीषण बमबारी के दौरान, मानवीय राहतकर्मियों ने आमजन की सुरक्षित निकासी को सुनिश्चित किया है.
मारियुपोल में मृतक संख्या के सम्बन्ध में अभी स्पष्ट जानकारी नहीं है, मगर शहर के मेयर का कहना है कि 20 हज़ार से अधिक आम लोग मारे गए हैं.