यूक्रेन: पत्रकारों के लिये बढ़ा ख़तरा, मानवाधिकार विशेषज्ञों की चेतावनी
यूएन द्वारा नियुक्त किये गए स्वतंत्र विशेषज्ञों ने बुधवार को जारी अपने एक वक्तव्य में यह ऐलर्ट जारी किया है.
विशेष रैपोर्टेयर्स ने अनेक समाचारों का हवाला देते हुए कहा कि पत्रकारों को निशाना बनाया गया, उन्हें यातनाएं दी गईं, उनका अपहरण किया गया, उन पर हमले हुए, जान से मार दिया गया, और घेराबन्दी वाले शहरों और क्षेत्रों में सुरक्षित रास्ता देने से मना कर दिया गया.
संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आँकड़े दर्शाते हैं कि 24 फ़रवरी को रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से अब तक सात पत्रकारों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है.
पिछली मर्तबा, इतनी बड़ी संख्या में मीडिया कर्मियों ने वर्ष 2014 में अपनी जान गँवाई थी, जब रूस ने क्राइमिया को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.
विशेषज्ञों के मुताबिक़, यूक्रेन के विरुद्ध रूस द्वारा छेड़े गए युद्ध को, लम्बी अवधि के लिये आलोचनात्मक आवाज़ों को चुप करा कर, आसान बनाया गया है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि रूस में कईं सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म और समाचार वैबसाइट को बन्द कर दिया गया है, और विदेशी मीडिया सेवाओं में व्यवधान आया है.
स्वतंत्र विशेषज्ञों ने मॉस्को द्वारा स्वतंत्र मीडिया पर विदेशी एजेंट होने का ठप्पा लगाये जाने पर चिन्ता जताई है.
साथ ही, उन्होंने रूस के उस क़ानून की आलोचना की है जिसमें यूक्रेन में युद्ध के बारे में “झूठी जानकारी” फैलाने, यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान पर सवाल उठाने, या फिर युद्ध शब्द का भी उल्लेख करने पर पत्रकारों के लिये 15 वर्ष जेल की सज़ा का प्रावधान है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “हम राजनैतिक विरोधियों, स्वतंत्र पत्रकारों व मीडिया, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, प्रदर्शनकारियों और रूसी सरकार के क़दमों का विरोध कर रहे अन्य लोगों के व्यवस्थागत ढँग से दमन की निन्दा करते हैं.”
“ये सभी क़दम, सूचना पर राज्यसत्ता का एकाधिकार क़ायम किये जाने के समान है, जोकि रूस के लिये तय अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों का खुला उल्लंघन है.”
विशेषज्ञों ने यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध के लिये रूस द्वारा कथित रूप से दुष्प्रचार का इस्तेमाल किये जाने की निन्दा की है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि रूस में सरकारी मीडिया भी यूक्रेन के विरुद्ध ग़लत जानकारी का प्रचार कर रहा है.
योरोपीय संघ की पाबन्दियाँ
विशेष रैपोर्टेयर्स ने योरोपीय संघ के उन निर्णयों को भी ख़ारिज कर दिया है, जिनके तहत दो रूसी मीडिया कम्पनियों पर पाबन्दी लगाई गई है.
उन्होंने इस निर्णय को ग़ैर-आनुपातिक क़रार देते हुए सचेत किया है कि इस क़दम को बहाने के तौर पर इस्तेमाल में लाते हुए, रूस में स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को बन्द किया गया है.
उन्होंने कहा कि स्वतंत्र व बहुलतावादी मीडिया को सुनिश्चित करते हुए, विविध व सत्यापन करने योग्य सूचना की सुलभता का प्रसार, ग़लत जानकारी से निपटने के लिये एक कहीं अधिक कारगर उपाय है.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने रूसी सरकार से अपने अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के पूर्ण रूप से निर्वहन की अपील की है.
उन्होंने कहा कि इसके तहत, सूचना चाहने, पाने, और साझा करने की आज़ादी का सम्मान किया जाना होगा, और उसे बढ़ावा देते हुए इस अधिकार की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी.
इस क्रम में, स्वतंत्र मीडिया, पत्रकारों और नागरिक समाज पक्षकारों के लिये एक सुरक्षित कामकाजी माहौल के सृजन पर बल दिया गया है.
विशेष रैपोर्टेयर्स ने यूक्रेनी मीडिया और इण्टरनैट बुनियादी ढाँचे पर रूस द्वारा साइबर हमले किये जाने की सम्भावना के प्रति एक चेतावनी जारी की है.
मानवाधिकार विशेषज्ञ
इस वक्तव्य को जारी करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों की सूची यहाँ देखी जा सकती है.
सभी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा में यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं, और वो अपनी निजी हैसियत में, स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं.
ये मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.