महासभा में उच्च-स्तरीय बैठक, टिकाऊ शहरीकरण की दिशा में प्रगति की समीक्षा
‘नवीन शहरी एजेण्डा’ एक साझा वैश्विक दूरदृष्टि को पेश किया गया है, जोकि सुनियोजित व उचित प्रबन्धन के साथ शहरीकरण के ज़रिये, निर्माण, प्रबन्धन और बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के उपायों पर केंद्रित है.
आमजन और पृथ्वी के एक बेहतर भविष्य के लिये, 2015 में टिकाऊ विकास लक्ष्यों की स्थापना पर देशों में सहमति के एक वर्ष बाद, इस एजेण्डा को पारित किया गया था.
यूएन महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद ने अपनी आरम्भिक टिप्पणी में कहा कि टिकाऊ शहरीकरण के ज़रिये, आपस में जुड़े विविध प्रकार के मुद्दों पर बदलाव को आगे बढ़ाया जा सकता है.
इनमें निर्धनता उन्मूलन, प्रवासन, भूमि क्षरण, आर्थिक समृद्धि और शान्तिपूर्ण समाजों का निर्माण है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि इसके बावजूद, नए शहरी एजेण्डा की अहमयित पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया जाता है, जबकि इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं.
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि टिकाऊ शहरीकरण, सभी टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति से जुड़ा हुआ है.
मगर, कम संख्या में देश ही ये वास्तव में दावा कर सकते हैं कि उनका शासन व्यवस्था, और समावेशी शहरी नियोजन, क्षमता निर्माण, टैक्नॉलॉजी सुलभता और टिकाऊ शहरीकरण के लिये वित्त पोषण सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक नीतियों में स्थान है.
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि इस रुझान को बदले जाने की ज़रूरत है.
गुरूवार को आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में सरकारी प्रतिनिधियों, शहर महापौरों, व्यवसाय जगत के नेताओं, युवजन और अन्य पक्षकार शामिल हुए.
विषमताओं से निपटना
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) के प्रमुख कॉलेन विक्सेन केलापिल ने ध्यान दिलाया कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों का सिद्धान्त, किसी को भी पीछे ना छूटने देना है.
नए शहरी एजेण्डा को पूर्ण रूप से लागू किया जाना, इसी सिद्धान्त की बुनियाद में बताया गया है.
उन्होंने बताया कि चर्चा से जो अहम सन्देश सामने आए हैं, उनमें शहरी विषमताओं को दूर करने के लिये वित्त पोषण की आवश्यकता है. आवास सुलभता भी एक अहम मुद्दा है.
परिषद के अध्यक्ष ने आगाह किया कि आवास व्यवस्था का व्यावसायीकरण हो चुका है और शहरी भूमि बाज़ारों पर राजनैतिक अभिजात वर्ग का नियंत्रण है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने सदस्य देशों से, आवास व्यवस्था को सर्वप्रथम एक मानवाधिकार के रूप में स्थान देने का आग्रह किया है.
कॉलेन विक्सेन केलापिल ने देशों को प्रोत्साहन देते हुए अनुरोध किया है कि पहुँच के भीतर आवास व्यवस्था के लिये वित्त पोषण की चुनौती को, रोज़गार सृजन और शहरों के राजस्व में वृद्धि के एक उत्प्रेरक व अवसर के रूप में देखा जाना होगा.
किसी को भी पीछे ना छूटने देना
यूएन पर्यावास (UN Habitat) की कार्यकारी निदेशक मैमूनाह शरीफ़ ने बताया कि हर चौथे साल जारी होने वाली महासचिव की रिपोर्ट में आवास व्यवस्था सम्बन्धी अनिवार्यताओं को शामिल किया गया है.
ग़ौरतलब है कि गुरूवार को होने वाली बैठक में विचार-विमर्श इसी दस्तावेज़ के आधार पर किया जा रहा है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि रिपोर्ट में देशों के लिये सिफ़ारिशें पेश की गई हैं कि न्यायोचित विकास को आगे बढ़ाने के लिये, पर्याप्त व पहुँच के भीतर आवास व्यवस्था के प्रावधान को एकीकृत किया जाना होगा.
साथ ही, स्पष्ट किया गया है कि आवास व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल, रोज़गार, शिक्षा, डिजिटल सुलभता और सामाजिक संरक्षा प्रणालियों की बुनियाद में है.