अफ़ग़ानिस्तान: काबुल की मस्जिद पर हमला, आमजन के लिये एक और 'दर्दनाक झटका'
काबुल के पश्चिम में दारुलअमन इलाक़े में स्थित ख़लीफ़ा साहिब मस्जिद में यह विस्फोट, अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी और प्रान्तों में नागरिक प्रतिष्ठानों पर हो रहे हमलों की श्रृंखला में नवीनतम कड़ी है.
मानवीय मामलों में संयोजन के लिये यूएन कार्यालय (OCHA) ने आरम्भिक रिपोर्टों के आधार पर बताया है कि धमाके से मस्जिद की छत को नुक़सान पहुँचा, और मलबे में श्रृद्धालु दब गए.
इस विस्फोट में हताहत होने वाले लोगों की संख्या अधिक होने की आशंका जताई गई है, जिनमें कई बच्चे भी हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने भी कहा कि शुक्रवार को विस्फोट, हाल के दिनों में काबुल, कुन्दूज़ और मज़ार-ए-शरीफ़ में घातक हमलों के बाद हुआ है.
ऐसा प्रतीत होता है कि ये हमले हज़ारा, शिया और सूफ़ी अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाकर किये गए हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत समन्वयक रमीज़ ऐलकबरोफ़ ने अपने एक बयान में इस "जघन्य" हमले की निन्दा की है.
निशाने पर आमजन
उन्होंने कहा, "रमदान के पवित्र सप्ताह के अन्तिम शुक्रवार को हुआ यह विस्फोट, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिये एक और दर्दनाक झटका है, जिन्हें लगातार असुरक्षा और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है."
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने क्षोभ ज़ाहिर किया कि अपने दैनिक कामकाज में जुटे, नमाज़ के लिये एकत्र हो रहे, स्कूल या बाज़ार जा रहे या फिर अपने काम के लिये रवाना हो रहे नागरिकों को अंधाधुंध निशाना बनाया जाना नितान्त अनुचित है.
इससे पहले, गुरूवार को उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ़ शहर में दो मिनी बसों में हुए अलग-अलग विस्फोटों में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हुए थे.
रमीज़ ऐलकबरोफ़ ने ध्यान दिलाया है कि आम नागरिकों और मस्जिदों सहित नागरिक बुनियादी ढाँचों पर हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का हनन हैं.